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हमारी कहानियाँ

वर्षों से, हमने भारत के कई एसिड अटैक पीड़ितों को जीवन की डोर थामनी सिखाई है| आइए हम सुनाते हैं आपको कुछ ऐसी कहानियाँ जो दिल को छू जाएँगी...

अनुपमा

अनुपमा

अनुपमा की मुस्कुराहट एक बड़े स्कार्फ़ और काले चश्मे के पीछे से भी लोगों का दिल छू जाती है।लेकिन यह किसी स्टाइल का नया दौर नहीं, इस मुखौटे के पीछे एक दर्दनाक कहानी छिपी है | १३ साल की उम्र में, उससे १२ साल बड़ा एक लड़का अनुपमा और उसकी बहन का रोज़ पीछा करता था | उन पर चीज़ें फेंक कर उनको छेड़ता था | रोज़ - रोज़ की इस परेशानी से तंग आकर अनुपमा ने अपने घर वालों से मदद माँगी | उसका भाई उस आदमी के घर गया और उसे उसकी बेहूदा हरकतें रोकने की धमकी दे कर आया | उसे पता नहीं था कि इस बात पर वो आदमी इतना नाराज़ हो जाएगा कि वह उसकी दोनों बहनों की ज़िंदगी बर्बाद कर देगा | एक शाम वो आदमी बहनों के कमरे की खिड़की पर आया और उनपर एसिड फेंक कर भाग खड़ा हुआ | अनुपमा की बहन के पेट पर एसिड गिरा लेकिन अनुपमा का चेहरा, छाती और बाँहें बुरी तरह से झुलस गए |

ममता की आँखों में आज भी एक चमक है और उसकी आवाज़ में एक चहक है जब वो हमें अपनी कहानी सुनाती है। २१ साल की उम्र में उसकी शादी ज़बरदस्ती एक आदमी से कर दी गयी। शादी के बाद वो रोज़ उस पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार करने लगा। जब वह पहली बार गर्भवती हुई तो अपनी हालत के बारे में सोच कर वह बच्चा गिराना चाहती थी लेकिन अपने पति के दबाव के कारण उसे बच्चे को जन्म देना पड़ा | उसके बाद उसका पति बच्चे की धमकी दे कर उसे और उसके परिवार से पैसे माँगने लगा और उसे घर के बाहर बंद करने लगा | जब वह अपना घर छोड़ के अपने माँ बाप के पास रहने लगी तो उसके पति ने उस पर एसिड फेंक कर उसके खूबसूरत चेहरे को विकृत कर दिया |

ममता

ममता

गुलनाज़

गुलनाज़

३ बच्चों की फ़ौलादी माँ, आज घर में सीधे साधे काम करने के लिए भी मदद माँगती है। ४३ साल की उम्र में गुलनाज़ ने अपने घर में एक ब्यूटी पार्लर खोला ताकि वह अपना खुद का बिज़नेस चला सके और कुछ बन सके| हालाँकि, उनके गाँव वालों को यह अपनी संस्कृति के प्रति विरोध लगा लेकिन गुलनाज़ २ हफ्ते तक सुदृढ़ हो कर सलीक़े से काम करती गयी | फिर एक दिन, गाँव के मुखिया ने उसके घर में घुस कर उस पर एसिड फेंक दिया। गुलनाज़ मानसिक और शारीरिक कष्ट में तड़पतीं रह गयीं।| गुलनाज़ के पति उनके साथ हर मुश्किल से जूझ रहे थे | पुलिस के साथ मिल कर उन्होंने अपनी पत्नी के मेडिकल खर्चे तो निकलवा लिए लेकिन उनके दुखते हुए दिल का कोई इलाज नहीं है |

नाज़ुक सी उम्र में अपनी माँ को खोने के बाद, कांता की १० साल की उम्र में ज़ोर - ज़बरदस्ती शादी करवा दी गई | वह अपने पति के साथ रहती थी और १७ साल की उम्र में उसने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया | पति को लड़का चाहिए था और लड़की पैदा होने की वजह से वह नाराज़ हो गया | तब उसके जीवन में दुर्व्यवहार शुरू हो गया | जब कांता दूसरी बार गर्भवती हुई , तो उसके पति ने वादा किया कि यदि इस बार लड़का पैदा हुआ तो सब ठीक हो जाएगा | दुर्भाग्यवश, जब यह पता चला कि उसने फिर लड़की को जन्म दिया है, तो उसके पति ने क्रोध में मानसिक दुर्व्यवहार करना और मारना - पीटना शुरू कर दिया|

२०१५ में, जब उसकी पहली बेटी ७ साल की थी, तब उस पर पहली बार एसिड अटैक हुआ | इस क्रूर आदमी से पीछा छुड़ाकर जब वह पुलिस के पास गयी तो किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया | कांता की कहानी की सबसे दर्दनाक बात है कि वह आज भी अपने पति के साथ फँसी हुई है |

पति के साथ-साथ, सास, बहनें, ननद, सब उस पर आज भी अत्याचार किए जा रही हैं | कई दिन उसे खाने - पीने को भी नहीं मिलता है | कांता का पति कोर्ट में टाइम पर नहीं आता और क़ानूनी तौर पर तारीख़ आगे बढ़ती जाती है। रोज़ उसका परिवार उसे जला देने की धमकी देता है | इस नर्क में आज भी फँसी हुई है कांता |

कांता

कांता

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