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​बढ़ती कठिनाइयाँ

एसिड़ अटैक आज के ज़माने के कई ऐसे क्राइम्स मे से है जिन्होने क्रूरता की हर सीमा पार कर दी है | इसके शिकार शारीरिक और मानसिक रूप से टूट जाते हैं | अक्सर उन्हें ऐसा लगता है की आत्महत्या के सिवाय उनके पास और कोई चारा नहीं रहा | इन अटैक्स की गिनती भारत में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही रहीं हैं | इस मुद्दे पर तेज़ी से और दृढ़ संकल्प के साथ निर्णय लेने का वक्त आ गया है |

Source: ASFI

क्या है इसका

मूल कारण?

एसिड़ सर्वाइवर्स फाउंडेशन इंडिया के मुताबिक एसिड़ हमलों के मकसद दहेज़ और डाउरी जैसे मसलों से लेकर, किसी लड़के का प्रपोजल ठुकराने जैसी छोटी सी बात पर हो सकते हैं | बदला लेना एसिड़ अटैक का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन कई और भी कारण हैं जिन्हे यहाँ प्रदर्शित किया गया है |

Rejecting offers of love/marriage/sex

प्यार / विवाह / सेक्स का प्रस्ताव ठुकराना

36%

Land/professional disputes

ज़मीन / काम के मामले में हुए भेद भाव

5%

No motive/for sadistic pleasure

बेवजह

5%

Alcohol/drug-related attacks

ड्रग्स / शराब के नशे में धुत

1%

Marital discord

विवाह में भेद भाव

13%

Dowry

डाउरी

5%

Family disputes

पारिवारिक झगड़े

5%

Others (including 11% unintentional)

कुछ और (ग़लती से हुए 11%)

30%

अधिकतर

महिलायें पीड़ित होती हैं

अधिकतर यह सारे अटैक्स ज़ोर ज़बरदस्ती की वजह से होते हैं, और इसी कारण ज्यादा से ज्यादा पीड़ित महिलाएँ होती हैं | यह बढ़ते हुए नंबर, एक उभरते हुए दौर की निशानी हैं जो काफ़ी ख़ौफ़नाक नतीजों की ओर बढ़ रहा है | इसके समाधान के लिए हमे इसकी जड़ तक पहुँचना होगा और समाज के हर स्तर से इसे उखाड़ फेंकना होगा |

THE NUMBERS

और कुछ कारण

प्रशासनीयक कारण

प्रशासनीयक कारण

1. एसिड़ बड़ी आसानी से मिलता है |

2. कम लोग इस मुद्दे पर काम कर रहें हैं इसलिए लोगों को कम जानकारी है |

प्रशासनीयक कारण

सोसायटी के कारण

1. लोग अपने गुस्से और फ्रस्ट्रेशन के लिए मदद नही लेते|

2. लोग एसिड़ अटैक से पीड़ित लोगों से भेद भाव करते हैं |

क़ानूनी कारण

क़ानूनी कारण

1. लोग इन अटैक्स को रिपोर्ट नही करते क्यूंकी वह डरते हैं की उनपर दोबारा अटैक होगा |

बदलाव का समय

आ गया है

एसिड़ अटैक्स के नतीजों को नज़रअंदाज़ करना बहुत मुश्किल होता है | यह आजीवन एक साया बन कर पीड़ित और उनके परिवार का पीछा करते रहते हैं | इसी कारण आज देश की कई मानवतावादी ऑर्गनाइज़ेशन्स कदम बढ़ा रही हैं और इन पीढ़ीत महिलाओं को दोबारा उनकी जिंदगी की ड़ोर थामने में मदद कर रही हैं |

किंतु क्या यह काफ़ी है?

आज हम महिलाओं को अटैक के बाद मदद करतें हैं, लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं हैं | हम ज़माने का रुख़ बदलना चाहते हैं | हम चाहते हैं की कड़े क़ानून और रिहैबिलिटेशन के अच्छे प्रोग्रॅम्स बने जिससे इन पीड़ित महिलाओं को ज़रूरी सहायता मिले | हम मीर फाउंडेशन के तेहेत लोगों को एकजुट कर, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित देश बनाने की माँग समाज से करते हैं |

हमारा दृष्टिकोण

हम आपने प्रोग्राम के तेहेत ऐसी महिलाओं को पुरस्कृत करतें हैं जो एसिड अटैक के प्रभाव से परिभाषित नहीं हैं | हमारे पुनर्वास प्रोग्राम के द्वारा हम कई अलग संस्थाओं से जुड़े हैं जो हमे अलग सर्विसेज में सपोर्ट करतीं हैं | कुछ ऐसी ही सर्विसेज के उदाहरण यहाँ प्रदर्शित किए गये हैं |

Medical Aid

मेडिकल सहायता

Legal Advice

क़ानूनी करवाही

Counseling Services

सलाह मशवरा

Vocational Training

व्यावसायिक ट्रेनिंग

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